चंद्रमा ने जब नयन मूंदे,
अंधियारे की चादर ओढ़े सोया,
सूरज ने तब ली अंगड़ाई,
रक्तिम मुख गंगा में धोया।
थी अभी जो गंगा मैया,
धुंध और अंधियारे में,
झिलमिल झिलमिल चमक उठी वह,
सूरज के उजियारे में।
रक्तिम मुख ले चुपके चुपके,
आसमाँ के बादलों की ओट में,
धीरे धीरे ऊपर चढ़ता,
सूरज सोच रहा था,
देर हो गई माँ के दर्शन को,
थोड़ा सा लज्जित था।
तब बादल बोले,
नहीं सूर्य देव जी,
आप अवसुप्त नहीं थे,
तुम्हारे मुखमंडल को अंचल में छुपाये,
बस मैं ही निकल पड़ा था,
माँ दर्शन को।
लो छोड़ देता हूं राह तुम्हारी,
जग मग कर दो घाटों को,
माँ के अमृतसम नीर को भर दो,
अपने सतरंगे रंगों से।
कितना मधुर रम्य दृश्य था वह,
जब घाट घाट के मंदिर हुए सुनहरे,
और गंगा माँ का अंचल दमका।
सूरज की किरणें मानो,
चरण स्पर्श कर कहती थीं,
माँ अनुमति दो अब आकाश का भ्रमण कर आयें,
अंधियारे को हटा हम संध्या दर्शन को फिर आयें।
धीरे धीरे उठती लहरें मानो आशीष देती हों,
घाट घाट, मंदिर मंदिर,
दमक दमक कर आभार कहते हों।
इतना मनोहर दृश्य कभी ना मैंने देखा था,
उधर गंगा चमकती तो,
इधर पक्षियों का कालरव होता था।
अस्सी घाट से शुरू हुए थे,
अस्सी घाटों के लिए थे दर्शन,
मणिकर्णिका कुंड के सन्मुख नौका से उतर कर,
अद्भुत रत्नेश्रवर मंदिर देखा।
सदियों से वह झुका हुआ है,
फिर भी नहीं वह गिरता है,
क्योंकि बेटे ने बोला ले माँ,
तेरे लिए बना के मंदिर,
मै तेरे त्रृण से मुक्त हुआ।
सब को याद दिलाता है यह मंदिर,
सबके त्रृण से मुक्त हो जाओगे,
माँ के उरिणि कभी न हो पाओगे।
घाट पर ही बैठ जाऊं,
माँ के इस आलिंगन को ना छोडूं,
मन नहीं भरता माँ,
आभारी हूँ दर्शन के।
हर्षित मन से माँ को प्रणाम कर,
चले महादेव दर्शन को,
धन्य हुई आज में,
महादेव और गंगा माँ की,
इस पुण्य स्थली के दर्शन से।
नमो नमो गंगे
Beautifully encaptured. Loved reading and the photos are awesome 💚
ReplyDeleteThank you Jaya for taking out time and posting your views about this post.
Deleteवाह आपने इतने प्यार से माँ की लोरी जैसी गा कर दर्शन करा दिए
ReplyDeleteबहुत सुन्दर 🙏🏻🙏🏻🙏🏻👌👌
वाह आपने इतने प्यार से माँ की लोरी जैसी गा कर दर्शन करा दिए
ReplyDeleteबहुत सुन्दर 🙏🏻🙏🏻🙏🏻👌👌
🙏🙏धन्यवाद दीपा 😊😊
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