बूँदों की टिप् टिप में,
तितली के रंगों में,
भवरों की गुंजन में,
फ़ूलों के रंगों में,
मिट्टी की खुशबू में,
जीवन की गहराईयों को,
खोजती रहती हूँ,
प्रकृति के इस सृजन को,
स्तम्भित हो निहारती रहती हूँ।
पक्षी के कलरव में,
मयूर के नृत्य में,
हाथी के चिंघाड़ में,
शेर की दहाड़ में,
सर्प के फुंकार में,
चूहे की चूं चूं में,
जीवन के हर रंग को,
विस्मृत हो निहारती रहती हूँ,
जीवन की गहराईयों को,
खोजती रहती हूँ ।
नदी के स्यन्दन में,
सरोवर के ठहराव में,
कमल के निखार में,
मछली के खिलवाड़ में,
जीवन की अनन्तत,
अस्तित्व को निहारती हूं,
जीवन की गहराई को,
खोजती रहती हूँ।
सूरज की तपन में,
चांद की चांदनी में,
दिन के उजाले में,
रात्रि की चाँदनी में,
अमावस की अँधेरी रात में,
तारों की मुस्कान में,
जीवन की मधुरता की,
अनुभूति करती रहती हूँ,
जीवन की गहराई को,
खोजती रहती हूँ।
प्रकृति दुलार में,
प्रचंड प्रहार में,
जीवन का आगोश,
मृत्यु का प्रकोप,
प्रकृति जीवन है,
यह बोध कराता है,
और इसी प्रकृति में,
मैं जीवन की गहराईयों को,
खोजती रहती हूँ ।।
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