ईजा की बहुत याद आती है तेरी ,
तेरे इस नश्वर शरीर को छोड़ने की,
की थी कामना बहुत मैंने,
तेरे मानसिक शारीरिक कष्ट देख,
मन बहुत घबराता था,
तूने कभी ना हार मानी,
परिस्थितियों से लड़ना कैसे,
ये करके दिखलाया था,
कब तूने सोचा अपने बारे में,
बस कह देती थी,
तुम सब मेरे हो,
तो जो किया तुम्हारे लिए,
वो भी तो मेरा स्वार्थ था,
निर्मल मन और सद्भाव से,
सेवा सबकी करती रही,
उलाहना सहीं पर सदा मुस्काती रही,
उस मुस्कान के पीछे,
कितने दर्द छुपे थे,
ये ना बताया किसीको,
सब अपने साथ ले गयी,
छोड़ गयी बस यादें।।
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अश्रु युक्त भावभीनी श्रद्धांजलि स्वीकार करना
ज्योत्सना
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