Sunday, 16 August 2020

गुड़हल का पुष्प


कितना आनंद आता था जब हम मिल बैठते थे और कुछ अपनी कहते थे कुछ उनकी सुनते थे। इतनी आत्मीयता थी कि ऐसा लगता था मानो ईश्वर ने शायद हम दोनों को एक ही सांचे ही ढाल कर बनाया।
अब आप सोच रहे होंगे कि ये दोनों जुड़वा बहने हैं, सच कहूं तो हम बहन से भी अधिक हैं, पर रूप रंग में बिल्कुल भिन्न हैं।
शारीर अलग है पर सोच और आत्मा एक है, इसीलिए मैं कहती थी उससे, कि  ईश्वर ने हमें एक ही सांचे में ढाल कर बनाया है, बस तुझे मैदे से और मुझे गेहूं के आटे से बनाया है। वह खिल खिला के हंसती पड़ती थी ये सुनकर।
समय बीता, बसेरा बदला पर वह दिल की बात कहना सुनना, हंसना हंसाना, और बिना कुछ कहे, बिना कुछ सुने सब समझ जाना अभी भी नहीं बदला । दूरियां मीलों से नहीं विचारों से नापी जाती हैं। आज भी हम एक दूसरे के परिपूक हैं।
अब तीन चार दिन पहले ही की घटना बताती हूं,
हुआ कुछ यूँ कि कुछ कलियां लगी थीं गुड़हल के पौधे में, एक कली खिली और अति सुन्दर फूल बनी। मेरे मन में कुछ पंक्तियां आयीं सो उसे लिख भेजी, बस यों ही बस तुकबंदी कह दीजिए उसे, पर मेरे भावनाओं का उद्गार था वह।
 उसने उत्तर दिया और उस छोटी सी कविता को जिसका अर्थ वह समझ गयी, उसे अपनी कुछ पंक्तियों द्वारा पूरा कर दिया।
कविता पढ़ कर आप स्वयं ही अनुमान लगाएं कि मैं उसे अपनी और अपने को उसका प्रतिबिंब क्यों कहती हूँ।
अंत की तीन पंक्तियाँ पूनम उनियाल मेरी सहोदरा की हैं।

गुड़हल का पुष्प 

कल कली थी,
आज फूल बन गई,
कल मुर्झा जाऊंगी,
किसको क्या?
बाकी लगी कलियां कहेंगी,
चलो अब हमें खिलने का अवसर मिला।
अश्रु से नम नेत्र तो,
केवल माली और सखी के होंगे।
दर्द के इस मर्म को माली और सखी ही जाने,
क्योंकि इन्हीं दिलों मैं है तपिश,
अन्तराल के गुजर जाने की।

2 comments:

  1. Flower and words both are beautiful.. memories are weird can't hate them can't love them too much

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    1. Thank you for taking out precious time and posting comment.
      Yes I agree memerois are beautiful.

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