Thursday, 30 July 2020

मैं और मेरा पुष्प

 काश मैं एक भँवरा होती,
या होती एक छोटी सी तितली,
मधुप पान करने जब जाती
खो जाती सपनों की दुनिया में
और पुष्प जब रात्री में सो जाता,
अपनी पालकों को झुका के बंद कर लेता,
मैं भी उसके अंदर सो जाती,
सुगंधित पुष्प के अंतरंग में,
स्वप्नों की दुनिया में खो जाती
चिर निद्रा में सो जाती।
चिर निद्रा में सो जाती।

2 comments:

  1. बहुत बढ़िया कविता है मैडम।
    "सवेरा होते ही फूलों की तरह मुस्कुराते हुए उठ जाएँ"

    कालरा मैडम

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    1. कालरा मैडम अंत की पंक्ति आपने लिख कर कविता को भी पुष्प की तरह सुगन्धित कर दिया।
      🙏🙏🙏🙏
      अतिशय धन्यवाद।

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