मेरी बगिया
एक पुष्प से बनी बगिया मेरी,
देखो कितना सुन्दर है,
सूरज की किरणें,
लें चुंबन जब प्यार से,
तब भाग्य पर इठलाता है।
जब प्रकृति हैगीत गाती ,
रंग बदलता, पंखुड़ियों को लहरा लहरा,
मुदित हो नृत्य करता है,
जब मन्द मन्द पवन उसको दुलराती,
मन मगन हर्ष से आमोद करता है।
वर्षा की बूदें मोतियों का हार बन,
श्रिंगार जब उसका करती हैं,
कितना सुन्दर मनमोहक,
तब यह पुष्प मेरा लगता है।
यह एक अकेला पुष्प मेरा,
मेरी बगिया बनाता है,
बस एक पुष्प सबका मन मोह,
मेरी बगिया बन जाता है।