Friday, 22 March 2024

तुम्हरी मुस्कान


तुम्हारी मुस्कान

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गौरैया सी फुदकती,

मुख पर मुस्कान लिए, 

तुम्हरी ये सादगी, 

मेरे मन मस्तिष्क पर छा गयी थी, 

जब पहली बार तुम्हें, 

पाठशाला के गलियारे में देखा था। 

 

सूरज जैसे रोशनी दे कर,

क्षितिज में समा जाता, 

चाँद रात्रि में ठंडक दे कर, 

अपना भी कर्तव्य निभाता, 

तुम भी उसी तरह, 

कुशलतम अध्यापिका,

और प्रशासक बन,

अपने सब कर्तव्य निभाती,

अपनी सादगी और मुस्कान के, 

रंग बिखरती, 

सबसे दिल में हो छा जाती। 


मात पिता की सेवा करना, 

तुमसे सीखे कोई,

विकटतम परिस्थितियों में भी,

क्या तुम कभी भी रोई?

धैर्य और नम्रता की,

अद्भुत रूप हो तुम,

किस मिट्टी की बनी हो तुम, 

अब तक जान ना  पाया कोई, 


ईश से सदा ये मांगू, 

कोई कांटा तुमको ना चुभने पाये, 

सेवा निवृत्ति के बाद,

कुछ पल अपने लिये भी जी लेना, 

ये मुस्कान और सादगी से सदा, 

सबके हृदय में राज करो तुम।

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